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6 Dec 2021 · 1 min read

प्रीति जगत की रीत

#प्रदत्त_शब्द – गीत, प्रीत, रीत
#विधा – कुण्डलिया
****************************************
प्रीति जगत की रीत है, यह जीवन संगीत।
प्रीत ही है परमात्मा, प्रीत दिलाये मीत।
प्रीत दिलाये मीत, हर्ष जीवन में छाये।
गायें मिल सब गीत, सदा आनंद मनायें।।
खुश होते भगवान, सुनें जो गीत भगत की।
रीझे दयानिधान, देखकर प्रीत जगत की।।

सुख से रहना चाहते, करो राम से प्रीत।
बहुत सहज यह मार्ग है, यहीं सनातन रीत।
यही सनातन रीत, गीत प्रभु का तुम गाओ।
ईश्वर से हो प्रीत, हर्षमय जीवन पाओ।।
ईश्वर में अनुराग, छूटता नाता दुख से।
मिटते सकल अभाग, जुड़ेगा रिश्ता सुख से।।
******** स्वरचित, स्वप्रमाणित
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

1 Like · 2 Comments · 681 Views
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