प्रीतम तोड़ी प्रीतड़ी, कर परदेसा वास। प्रीतम तोड़ी प्रीतड़ी, कर परदेसा वास। बिलखत होगी बावळी, कुण बंधावै आस।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️