प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ …
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ …
स्मृति घरौंदों में तेरा मैं
कालजयी श्रृंगार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
श्वास सिंधु के अंतिम छोर तक
देना मेरा साथ प्रिय
उर -अरमानों के क्रंदन का
कैसे मैं परिहार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
मेरी पावन अनुरक्ति का
करना मत तिरस्कार प्रिय
दृग शरों के घावों का मैं
कैसे क्या उपचार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
नैन तटों पर तेरे मेरा
जीवन सारा कट जाए
हृदय कुञ्ज में प्रणय पलों का
हरदम मैं सत्कार करूँ
अभिलाष यही है अंतिम पल तक
प्रिय तुझसे मैं प्यार करूँ
सुशील सरना