प्रियतम
प्रियतम (शुभांगी छंद)
प्रियतम कब से,चाह रहा है,तुझको करना,मस्ताना।
तुझे रिझा कर,खुश कर देता,हो जाते हो,दीवाना।
प्रियतम तेरे,साथ रहेगा,सब कुछ देगा,सच कहता।
कभी नहीं वह,तुझको त्यागे,एक तुम्हीं में,मन रहता।
साथ किया है,संग रहेगा,साथ-साथ में,खेलेगा।
सुख में दुख में,रहे हमेशा,सच मानो सब,झेलेगा।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।