प्रियतम
मेरे एकाकी जीवन में
बनकर आये बहार हरितम प्रीतम तुम
घेर दिया एक सिंदूरी परिधि में
और सिंदूरी हो गया मेरा जीवन
मुझ पर पड़ी बारिश की बूँदे
तुमसे मिलकर निखर उठी
तुमने दी राह जिंदगी को
और सुहानी हो गई हर गली
तुमसे ही श्रृंगार मेरा
तुमसे ही मनुहार मेरा
सावन के हर गीत हैं तुझसे
तुझसे ही संसार मेरा
सर्वश्व तुझपे अर्पण है
जीवन सारा समर्पण है