Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2023 · 3 min read

प्रिंट मीडिया का आभार

जय बिरसा….
“आत्म सम्मान की स्याही से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर शौर्य की शब्दावली रचने वाले क्रांतिकारी आदिवासी शेर थे बिरसा मुंडा”
:राकेश देवडे़ बिरसावादी

// प्रेस विज्ञप्ति//
“बिरसा मुंडा व्यक्ति नहीं बल्कि वैचारिक विश्वविद्यालय है , उन्हें पढ़ना एक जन्म में संभव नहीं।”

सरकार देश की चालक है, आदिवासी देश का मालिक है

सर्व आदिवासी समाज द्वारा मनाई गई बिरसा मुंडा जयंती
देवास । सर्व आदिवासी समाज के मनोज निराला द्वारा अवगत करवाया गया कि आज उज्जैन रोड़ स्थित एक निजी गार्डन में संपूर्ण राष्ट्र के लिए मात्र 25 वर्ष की आयु में शहीद होने वाले स्वतंत्रता सेनानी धरतीआबा क्रांतिसूर्य महामानव महाविद्रोही स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा जी की 148 वी जयंती मनाई गई।सर्वप्रथम समाज के बुजुर्ग डहालो द्वारा ज्वार, नीम के पत्ते , पानी, हल्दी से प्राकृतिक पूजा अर्चना कर माँ प्रकृति तथा पुरखो को आमंत्रित किया गया तत्पश्चात सामाजिक व वैचारिक आमसभा का आयोजन किया गया ।आमसभा को कई बौद्धिक वक्ताओं ने अपना उद्बोधन दिया। राकेश देवडे़ बिरसावादी ने बताया कि बिरसा मुंडा का जन्म झारखंड राज्य के उलिहातु में 15 नवंबर 1875 को गरीब मजदूर परिवार में हुआ था। उन्हें जंगल में रहने वाले पशु पक्षियों से बात करने का हुनर था। वह बांसुरी बहुत अच्छी बजाते थे और बहुत अच्छे वैद्य भी थे। सन् 1885 मैं लगान माफी के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा खोला। सन् 1897 से से लेकर सन् 1900 तक अंग्रेजो के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ा।जेल में उनके शरीर पर गर्म पानी डालकर चमडी़ उधेड़ी गई, उन्हें लालच दिया गया लेकिन उन्होंने लालच को स्वीकार नहीं किया और जल जंगल जमीन के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।उन्होंने अंग्रेजों से कहा मैं आदिवासी था आदिवासी हूं और आदिवासी रहूंगा।शोषण और अत्याचार के खिलाफ लडऩे वाले सच्चे लड़ाके थे। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर साहस वीरता और आत्म सम्मान की श्याही से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर शौर्य की शब्दावली रची थी।अबुआ दिशुम अबुआ राज यानी हमारे गांव में हमारा राज का नारा बुलंद करने वाले बिरसा मुंडा स्वयं में एक वैचारिक विश्वविद्यालय है जिन्हें शब्दों में समेट पाना संभव नहीं है।अपनी संस्कृति को बचाने के लिए संघर्षरत एक सामाजिक योद्धा का नाम है बिरसा मुंडा,अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम और जल जंगल जमीन बचाने के लिए देश के युवाओं में क्रांति उत्पन्न करने का नाम है बिरसा मुंडा।जयस के युवा सचिन देवड़ा ने बताया कि बिरसा मुंडा के आंदोलन से देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने प्रेरणा ली थी। बिरसा मुंडा को गांधी से पहले के गांधी भी कहा जाता है। आमसभा को संबोधित करते हुए दियालसिंह उईके ने कहा कि चाहे कोई भी सरकार हो आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा, उनकी मूल पहचान उनसे छीनी जा रही है।कई प्रोजेक्ट योजनाओ के नाम पर जमीने छीनी जा रही है।जल जंगल जमीन के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है।समाज के युवा रवि गामड़ ने कहा – हम आदिवासी तो बिरसावादी हैं ,और हमारे अंदर हमारे पुरखों का लड़ाकू संघर्षशील उबाल मारनेवाला ओरिजनल डीएनए है, विद्रोही विचारधारा है और हम उस विद्रोह, उठाव,क्रांति का हिस्सा है, जिसका प्रारंभ और अंत उलगुलान ही है। जितेन्द्र भूरिया ने कहा कि कोई पूछे कि कौन था बिरसा मुंडा तो कह देना 25 वर्ष की उम्र में 200 साल की ब्रिटिश हुकूमत को नाकों चने चबाने वाला क्रांतिकारी आदिवासी शेर था बिरसा मुंडा। कार्यक्रम में भव्या ,जीवा,जिया तथा श्री द्वारा आदिवासी लोकनृत्य किया गया। सभा को दियालसिंह उईके,मोहन लाल रावत, भानुप्रतापसिंह,विष्णु मोरे,प्रितम बामनिया,मनोरमा,महेश रावत, इत्यादि ने संबोधित किया।आभार कमल सिसौदिया द्वारा व्यक्त किया गया। संचालन राकेश देवडे़ बिरसावादी द्वारा किया गया।इस अवसर पर शेषराव मर्सकोले, कपिल पर्ते, स्वतंत्र ठाकुर,मुरली मरावी, ललित आहके, रवि गामड़, संदीप ठाकुर,सचिन सिसोदिया, माखन बरला, अनिल बरला, पप्पू सोलकी, मुकेश सोलंकी सहित जयस बिरसा ब्रिगेड युवा उपस्थित थे।
(कार्यक्रम की एक खूबसूरत बात यह थी कि सभी युवाओं को मंच पर बोलने हेतु तैयार किया गया, बहुत सारे भाईयों ने पहली बार माईक पकड़ा था लेकिन बात बहुत शानदार रखी)
भवदीय
राकेश देवड़े
9617638602
सर्व आदिवासी समाज जिला देवास

408 Views

You may also like these posts

पृष्ठ बनी इतिहास का,
पृष्ठ बनी इतिहास का,
sushil sarna
सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्
सब कुछ पा लेने की इच्छा ही तृष्णा है और कृपापात्र प्राणी ईश्
Sanjay ' शून्य'
" जवाब "
Dr. Kishan tandon kranti
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अस्पताल की विवशता
अस्पताल की विवशता
Rahul Singh
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
एक संदेश
एक संदेश
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम कविता हो
तुम कविता हो
Arvina
गफलत।
गफलत।
Amber Srivastava
पहले प्रेम में चिट्ठी पत्री होती थी
पहले प्रेम में चिट्ठी पत्री होती थी
Shweta Soni
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
पूर्वार्थ
'भोर'
'भोर'
Godambari Negi
🙅बस एक सवाल🙅
🙅बस एक सवाल🙅
*प्रणय*
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हौसलों के पंख तू अपने लगा
हौसलों के पंख तू अपने लगा
Sudhir srivastava
2839.*पूर्णिका*
2839.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
चम-चम चमके चाँदनी
चम-चम चमके चाँदनी
Vedha Singh
जीवन का मूल्य
जीवन का मूल्य
Shashi Mahajan
कोरोना (कहानी)
कोरोना (कहानी)
Indu Singh
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
फिर कैसे विश्राम हो कोई ?
AJAY AMITABH SUMAN
बात सीधी थी
बात सीधी थी
Dheerja Sharma
मुझे तो किसी से वफ़ा नहीं
मुझे तो किसी से वफ़ा नहीं
Shekhar Chandra Mitra
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
नाजुक देह में ज्वाला पनपे
कवि दीपक बवेजा
इंतज़ार अच्छे दिन का ?
इंतज़ार अच्छे दिन का ?
Shyam Sundar Subramanian
सफ़र में था
सफ़र में था
Mahesh Tiwari 'Ayan'
संजीवनी
संजीवनी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
*सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)*
*सागर में ही है सदा , आता भीषण ज्वार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...