प्राण प्रतिष्ठा
अक्षर की ध्वनि-शक्ति शिला में
अंतर्मन कवि-तत्व कला में
प्राण प्रतिष्ठा के साधन हैं ।
प्राण प्रातिष्ठित संज्ञाएँ
साधक से बोला करती हैं ।
तन्मयता में भूल स्वयं को
याद करोगे जिनको जिसको
अनुभव होगा वह हाजिर है ।
तार और बेतार विधाएं
चाहो जो प्रस्तुत करती हैं ।