प्रश्न चिन्ह
राष्ट्र की धमनियों में द्वेष एवं घृणा रूपी विष का प्रभाव प्रकट हो रहा है ,
जो रह- रह कर उत्तेजक वैमनस्य प्रेरित प्रलापों एवं नृसंश हत्याओं में प्रस्तुत हो रहा है,
धर्मांधता एवं राजनीति के कुत्सित मंतव्य की परिणति मानवता का हनन करने की कुचेष्टा कर रही है ,
जिससे प्रभावित आम जनता मूकदर्शक बनी आतंक एवं असुरक्षा के निर्मित वातावरण में जी रही है ,
न्याय व्यवस्था एवं दाण्डिक प्रक्रिया विलंबित हो गई है, आपराधिक तत्वों की गतिविधि में कोई कमी नहीं आई है,
आम आदमी महंगाई , बेरोजगारी , महामारी एवं भ्रष्टाचार की मार सहते सहते लाचार हो चुका है ,
उस पर अलगाववादी तथा तुष्टिकरण की राजनीति एवं बढ़ते आतंक के प्रभाव से बेबस हो चुका है,
देश के नागरिक की वैचारिक स्वतंत्रता एवं मौलिक अधिकार पर एक प्रश्न चिन्ह उत्पन्न हुआ है ,
देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र एवं अक्षुणःता स्थापित करने के पुनीत प्रयासों मे गतिरोध उत्पन्न हुआ है,