*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम
वतर्ज-अंखियों को रहने
दें अंखियों के आस पास
स्थाई- नैना रहे निहार,
प्रभु का इंतजार।
सबरी ने सबर कर,
जीवन लिया सुधार।।
नैना रहे ——–
(अं•१)
आज्ञा श्री गुरुवर की
शिरोधार धार। कर।
मार्ग में राम के पुष्पों
को देती है ड़ार।।
उड़ान-सबर का सागर
पार राम राम रटकर।
नैना रहे ——–
(अं•२)
दुष्ट जन बनकर के ख़्वार,
किन्हा सरबर ये बेकार।
नैनों से नीर की धार,
राम के चरणों दी डार।।
उड़ान-भक्ति की नईया कर लेती
भव को पार।नैना रहे —–
(अं•३)
भक्ति गागर राम दीनि है भर।
भव से सबरी को राम करायें पार।।
उड़ान-अज्ञानी गुणगान राम ही करे उद्धार।। नैना रहे ———
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•