प्रभु से कर लीं प्रीत
कर लीं प्रभु के वंदना, सुबह-सुबेरे मीत।
हृदय बसा लीं राम के, गायीं उनकर गीत।
जग उद्धारक राम प्रभु , करीं सदा कल्याण-
सुखमय जीवन चाह बा, प्रभु से कर लीं प्रीत।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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