” प्रतिक्रिया ,शब्द और स्टोरी “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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सारे लोग तो मनोवैज्ञानिक नहीं हो सकते ! निपुण पेशेवर मनोवैज्ञानिक अधिकारियों को देश के विभिन्य सर्विस सेलेकसन बोर्ड में नियुक्त किए जाते हैं ! ये सिर्फ उम्मीदवार के मनोवैज्ञानिक उत्तर पुस्तिका पढ़कर ही अनुमान लगा लेते हैं कि किसके हाथों में देश की सुरक्षा सौंपी जाय ! पहले आपकी चिट्ठियाँ पढ़कर आपके व्यक्तित्व को भांफ़ लेते थे ! इस डिजिटल मित्रता के दौर में हम भी इन प्रक्रियाओं का प्रयोग कर सकते हैं ! प्रतिक्रिया ,लिखने का अंदाज ,टिप्पणियाँ के लहजे,आदर ,सम्मान और प्रेम को देख हमें आभास हो जाता है कि ये योग्य हैं ! शब्द ,शालीनता ,आदर ,प्रेम का भाव छलकता है या नहीं ? फ़ेसबूक के पन्नों में कुछ श्रेष्ठ ,समतुल्य और कनिष्ठ हैं ! स्टोरी में यदि आप बेढब ,असलील और अमर्यादित फोटो को पोस्ट करेंगे तो आपको पहचानने के लिए धुरंधर मनोवैज्ञानिक की आवश्यकता नहीं होगी !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल “