Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2023 · 1 min read

प्रकृति

चांद, एकांतता सिखा गया कभी,
ध्यानस्थ दरख़्तों से मिला ध्यान।

सागर, चुपके से मौन सिखा गया,
कभी चुप चितवन से मिला ज्ञान !!
-मोनिका

373 Views
Books from Monika Verma
View all

You may also like these posts

जिंदगी
जिंदगी
उमेश बैरवा
सूनी आंखों से भी सपने तो देख लेता है।
सूनी आंखों से भी सपने तो देख लेता है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
3654.💐 *पूर्णिका* 💐
3654.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
" ये जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
खूबसूरत जिंदगी में
खूबसूरत जिंदगी में
Harminder Kaur
पहला कदम...
पहला कदम...
Manisha Wandhare
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
VINOD CHAUHAN
गिल्ट
गिल्ट
पूर्वार्थ
यक्षिणी-17
यक्षिणी-17
Dr MusafiR BaithA
वक्त के हाथों पिटे
वक्त के हाथों पिटे
Manoj Shrivastava
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
अन्तर्मन को झांकती ये निगाहें
Pramila sultan
प्रकृति का बलात्कार
प्रकृति का बलात्कार
Atul "Krishn"
धन कमा लोगे, चमन पा लोगे।
धन कमा लोगे, चमन पा लोगे।
श्याम सांवरा
"पारदर्शिता की अवहेलना"
DrLakshman Jha Parimal
नम आंखे बचपन खोए
नम आंखे बचपन खोए
Neeraj Mishra " नीर "
किसी की राह के पत्थर को, गर कोई हटाता है
किसी की राह के पत्थर को, गर कोई हटाता है
gurudeenverma198
चुनाव आनेवाला है
चुनाव आनेवाला है
Sanjay ' शून्य'
प्रेम गीत :- वक़्त का कारवां...
प्रेम गीत :- वक़्त का कारवां...
मनोज कर्ण
- कलयुगी जन्मदाता (माता पिता) -
- कलयुगी जन्मदाता (माता पिता) -
bharat gehlot
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस
Ravi Prakash
इज़्ज़त
इज़्ज़त
Jogendar singh
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Saraswati Bajpai
#कुछ खामियां
#कुछ खामियां
Amulyaa Ratan
खोया है हरेक इंसान
खोया है हरेक इंसान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसद्दस मुज़ाफ़
बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसद्दस मुज़ाफ़
sushil yadav
आने वाले समय में हम जिंदा तो नही होंगे..!!
आने वाले समय में हम जिंदा तो नही होंगे..!!
Ranjeet kumar patre
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jai Prakash Srivastav
मेरी दुआ है तुझे किसी की बद्दुआ न लगे।
मेरी दुआ है तुझे किसी की बद्दुआ न लगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
*रिश्तों मे गहरी उलझन है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माना   कि  बल   बहुत  है
माना कि बल बहुत है
Paras Nath Jha
Loading...