प्रकृति
प्रकृति एक “माँ“की तरह, रखती सबका ख्याल।
हैं ये जीवन दायनी, इसको रखो सँभाल।। १
नीर , हवा , भोजन ,वसन, मुफ्त लुटाती दान।
स्वार्थ भरा फिर भी मनुज, करे प्रकृति नुकसान।।२
प्रकृति सदा सबसे सुखद, रखती हमें निरोग।
बाँट रही है स्नेह से, सबको छप्पन भोग।।३
प्रेम प्रकृति से कीजिये, ये जीवन आधार।
स्वर्ग बने तब जिन्दगी, हो सुन्दर संसार।।४
प्रकृति नष्ट करना नहीं, विनती बारंबार।
हरी-भरी धरती रहे, सुरभित हो संसार।।५
प्रकृति हमारी मात है, हम सब हैं संतान।
मिल जुल कर रक्षा करो,तभी बचेगी जान।। ६
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली