प्रकृति
उफ ये बारिश
रुकने का नाम
कमबख्त नही लेता,
न जाने कितने दिनो से
लोग घर से बाहर
या बाहर शिविर से
घर आ या जा
नही कर पा रहे,
चारो तरफ हाहाकार
पानी ही पानी
फिर भी एक बुन्द
पानी के लिए
तरस रहे है आदमी,
शायद प्रकृति हमसे
रुठ गई है,या
उसकी भी अंतरात्मा
मर गई है,तभी तो
चुप्पी साधे बैठी है
अनगिनत जीव की
मौत होने के बावजूद ।