प्रकाशोत्सव
एक नया उत्सव
दिल का दिया
बुझी बाती
प्रेम का तेल
भर डालना
फिर चासना
नया उजास
नई ज्योति
पुराने गिले-शिकवे
सारे भूल जाना
अतीत की
खराब यादों को
बिसराना
खुद को खोजना
एक नई ज्योति से
एक नया ओहरा
हृदय धमनियों में
जमी दूषित सोच को
खुरच कर हटाना
बहने देना
एक नव संचार
फिर जगमगाना
प्यार के रंगों की
रंगोली सजाना
सारे रिश्ते नाते
मजबूत बनाना
एक ऐसा दीप उत्सव
आज तुम मनाना
मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह (२३-१०-२२)