“ प्यार छलकता माँ का सब दिन “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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माँ की ममता
यूँ छलक पड़ी ,
जब क्रंदन लाल का
निकाल पड़ा !
झट से वो
बाहर निकाल पड़ी ,
माँ के उर में
वह लिपट पड़ा !!
उसको अपनो का
प्यार मिला ,
माँ की गंगा की
धार मिली !
रह -रह के
माँ को देख रहा ,
मानो उसको
फुल झड़ी मिली !!
माँ तो सिर्फ
अपनी माँ होती है ,
अहर्निश साथ
रहा करती है !
दुख हो या
सुख हो बच्चों का ,
उनके लिये दौड़ पड़ती है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
18 . 02. 2022.