—प्यार की परिभाषा
सुन सखी,एक बात बताऊं
प्यार की परिभाषा में समझाऊं
मैंने घर संसार बसाया
एक घरौंदा प्यारा पाया
मैंने प्यार का गीत सुनाया
पति ने प्रीत धन मुझ पर लुटाया
सच कहूं सखी!!!
मेरे प्यार और उनके प्रीत की
डोरी है सच्ची रीत की
हां.. प्यार जताना नहींआया
मेरी बनाई गर्म चाय की प्याली
को मेरा प्यार जानो
धोये हुए साफ कपड़ों में
मेरा दुलार मानो
आऊं भागी पीछे गेट तक
उन्हेंछोड़ने मेरा मनुहार समझो
लौटते तक तक कर जब वो
प्रेमरस से भरी दाल-चपाती
खुशी से खाते.. और
हाथ पकड़ जब वो मुझे ये कहते!
पलभर तो हमारे पास बैठो,
सच मानो सखी!
प्यार का सागर ‘सीमा’उमड़ पड़ता है।
– सीमा गुप्ता
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