*** प्यार किया तो डरना क्या ***
20.5.17 रात्रि 12.02
प्रारम्भिक बोल
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प्यार करना गुनाह नही है
फिर डरते क्यूं हो जमाने से
ज़ख्म देके करते दिल घायल
हां मदहोश करती है पायल।।
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तेरी आयल बजी जो छमछम
प्यार के तार बजे है हमदम
करते है जो दिल को घायल
बजे जब-जब तेरी पायल-2
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जमाना गुजर गया जो आता नही दुबारा
हां आता नही दोबारा आता नही दोबारा
प्यार किया तो फिर डरना क्या क्योंकि
दिल एकबार ही लगता है बार-बार नहीं
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चोरी छुपे गर प्यार किया तो क्या किया
डरते रहे खुद-खुद से फिर खुदगर्ज बने
फिर प्यार का क्यों चुपके-इज़हार किया
फिर महोब्बत की क्यूं झूठी कहानी गढ़ी
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रोते है दिल लगा के दिलबर- दिलबर
दिलरुबा-दिल लगा कर भुला -पलभर
महबूब-बन-मजनूं-सा खा ठोकरे दर-दर
ना बने लैला- लैला तेरे प्यार में पलभर
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कहते है जन्मों का है नाता-हमारा
बहलाने दिल-खिलौना महज़ समझ
खेला-खेल और फिर बेकार समझ
फेंका इस क़दर-बेकदर-कर दरदर
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जमाने से डर ना कर मुहब्बत अब
करना है तो दिल से मुहब्बत कर
करना है अल्फाज़ो को साबित कर
और कह प्यार किया तो डरना क्या ।।
?मधुप बैरागी