प्यार कालू त हमसे निभा जा सनम
मुक्तक
मापनी- २१२ २१२ २१२ २१२
प्यार कइलू त हमसे निभा जा सनम।
छोडि दऽ साथ हमरो भुला जा सनम।
ख्वाब में नाहि आइब इ वादा रहल-
मौत के नींद हमके सुला जा सनम।
साथ जिनगी बिताइब इरादा रहल।
हाय! मनवा में उनकी का दादा रहल।
लूटि के चैन हमरो रहें चैन से-
राह रोकब न कबहूँ इ वादा रहल।
आदमी आदमी के कहाँ खास बा।
बस खुदा की रहम पर चलत साँस बा।
काम सगरो बनावत बिगाड़त उहे-
राम के आस बा और विश्वास बा।
जख्म बा जिंदगी तऽ दवा जिंदगी।
धूप बा जिंदगी तऽ हवा जिंदगी।
दूर जे भी रहल लोभ से द्वेष से-
हर घड़ी आज उनकर नवा जिंदगी।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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