प्यारे पापा को सस्नेह समर्पित
हम तो हैं इक अंश आप का,
आप से मिला ये तन, ये काया।।
पहला कदम पहला शब्द,
आपसे ही हमने पाया।।
पल- पल मिलती रही हमें,
आपके प्यार की ठंडी छाया।।
जग के दर्दीले झंझावातों से,
हमें बचाया, खुद दुःख पाया।।
जिन्दगी की जद्दोजहद में,।
आप ने चलना सिखलाया।।
दुनिया क्या है सही – गलत का,
भेद आप ने समझाया।।
प्यारे पापा स्नेह आपका,
रग – रग में हमारे है समाया।।
साक्षात् न सही पर आज भी,
हमें संभाल रहा है
पापा आप का ही साया।।
—–रंजना माथुर दिनांक 18/06/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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