पोर पोर बस गया बसंत
रंग रंगीला फागुन आया, रंग हजारों लाया
रंग बसंती ऐंसा छाया, सबका मन हर्षाया
चले बसंती पवन सुहानी, प्रेम प्रीत बरसाया
पोर पोर बस गया बसंत, धरती अंबर मुस्काया
रंग बिरंगे फूल खिले हैं, मौसम को महकाया
मन आतुर है पिया मिलन को, मधुमास उमंगे लाया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी