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31 Jul 2022 · 1 min read

पैरहन में बहुत छेद थे।

पैरहन में बहुत छेद थे उस गरीब के।
वो कैसे चला जाता यूं महफिले अमीर के।।1।।

लफ्जों के सिवा ना था कुछ देने को।
तोहफे में दुआएं भेजी है वास्ते रफीक के।।2।।

दिली चाहत को वो छुपाए रखता है।
उसने हंसी मांगी है बस सदके हबीब के।।3।।

नेक दिल इंसा है वो सबके ही लिए।
मुहब्बत से जीता है रिश्तों को करीब से।।4।।

वो जादा जनता नही उन अमीरों को।
जो गुनाहों में है पर दिखते है शरीफ से।।5।।

हर हाल पे वो शुक्र ए खुदा करता है।
वो खुश है उससे जो मिला है नसीब से।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

1 Like · 2 Comments · 149 Views
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