पूर्ण विराम :
पूर्ण विराम :
ओल्ड हो जाता है जब इंसान
ऐज हो जाती है लहूलुहान
अपने ही खून के रिश्तों से
होम में जल जाते हैं सारे कोख के रिश्ते
बदल जाता है
एक घर ढाँचा चार दीवारों का
पुराना ज़िस्म
जब
पुराना सामान हो जाता है
वो
ओल्ड ऐज होम का
सामान हो जाता है
अपनों के हाथों पड़ी खरोंचों के झुर्रीदार चेहरे
मृत संवेदनाओं की
कंटीली झाड़ियों के साथ
शेष जीवन व्यतीत करने वालों के लिए
अंतिम सोपान हो जाता है
बिना कांधों के देह चलती है
आत्मा का प्रस्थान हो जाता है
ओल्ड ऐज होम
बेबस
जीवित कंकाल से जिस्मों का गोदाम हो जाता है
मरघट से पहले
ओल्ड ऐज होम
यहाँ
हर दुनियावी रिश्ते का
पूर्ण विराम हो जाता है
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित