*** पूनम का चांद ***
पूनम का चाँद
वो पूनम का चाँद निकल आया ,
कितनी उजली छटा बिखेर लाया ।
शीतल छाया की ठंडक काया,
मदमस्त पवन भी उड़ा लाया ।
रात की मनोहर दृश्य देखकर
मन को एक सुकून सा दे पाया
किंतनी मनमोहक शीतलता प्रदान
किए हमे अपने जीवन में भी ऐसा ही
कुछ समय शीतल सा कर दे चला आया ।
कैसी ये रात चाँदनी सी बस यूँ ही मन को मन से सुकून चेन दे गया और भरमाया।
शरद पूर्णिमा की चाँदनी छटा बिखरी सी कुछ बातें कुछ आदतें अपनी छोड़ पाया।
कुछ कही अनकही बातें हमसे कह पाया
आज के पूनम के चाँद में ऐसा क्या कह डाला।
जो बाकी दिनों के चाँद में वो अपनी परछाई छुपा हुआ सा कुछ कह ना पाया
शरद पूर्णिमा के चाँद में वो शीतल बूंदें जो
अमृत समान छिटककर उस हर चीज को अमृत तुल्य बना दिया और कुछ मीठा सा अनोखा स्वाद चखा गया ।
अपनी हर छटा में पूनम के इस चाँद ने कुछ नया रूप दिखला ही दिया ।
शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
***शशिकला व्यास ***
स्वरचित रचना
राधे राधे जय श्री कृष्णा