पूजी जाएगी नारी जब, दुनिया का नक्शा बदलेगा
(महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)
मां है, मानव को जनती है, पालन पोषण करती है
धारण करती है समाज को, उम्र उसी में खपती है
बराबरी है दूर की कौड़ी, सम्मान के लिए भटकती है
नहीं है नारी पुरुष बराबर, पुरुषों से वो ऊंची है
आंख खोल कर देख जरा, किस बात में नारी नीचे है
डली हुई हैं ढेर बेड़ियां, सदियों से उसके पैरों में
झेल रही है ढेर यातना, दुनिया के परिवारों में
पुरुष प्रधान समाज सदियों से, दौर कभी तो बदलेगा
पूजी जाएगी नारी जब, दुनिया का नक्शा बदलेगा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी