पूंजीवाद
गरीब से जो छीन कर,
भरती है जो व्यवस्था,
पूंजीपतियों के भंडार,
कभी ना रखे पसंद पर.
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वैश्विक पूंजीवाद मूल,
है विनाश महाकाल.
भूखे तो भूख से मरे,
पेट भरे कब्ज हलाल.
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शातिर अपराधी ते जन,
बछड़ा देत लगाय,
बाल्टी भर दूध सुहाय,
झूठा स्नेह दिखाय.