Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2023 · 3 min read

पुस्तक समीक्षा—–

पुस्तक समीक्षा—–
पुस्तक-“आँसू से मुस्कान लिखेगें”
रचना- आदरणीय लालबहादुर चौरसिया “लाल”
समीक्षक- राकेश चौरसिया

हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में आदरणीय लालबहादुर चौरसिया “लाल “जी का बड़ा योगदान है, आप अपने काव्य धर्म को जितनी ईमानदारी, कर्म निष्ठा से निभाते हैं, ये आपके मेहमान की अमूल्य पूजी है, जिससे हमें लगता है कि आपके मेहनत में रत्तीभर की कोई कमी नहीं है। आपके शान्त और हसमुख चेहरे के पीछे जो लेखनी चलती है, उसकी काव्य क्षेत्र में अलग पहचान है। आप भोजपुरी काव्य क्षेत्र के साथ- साथ “भोजपुरी लोक गीत लेखन” का भी कुशल ज्ञाता हैं।
“आँसू से मुस्कान लिखेगें” आदरणीय लालबहादुर चौरसिया “लाल” जी का यह “प्रथम काव्य संग्रह” है, जिसका प्रकाशन “अनन्य प्रकाशन”-वाराणसी के द्वारा किया गया है। यह पुस्तक “120” पेज की है, तथा “79” रचनाओं का एक “काव्य संग्रह” है। ” “आँसू से मुस्कान लिखेगें” के आलावा कुछ “अप्रकाशित” पुस्तक भी है जो आने वाले सालों में आपके कद को और बढ़ायेंगे। आपका जन्म 5 अक्टूबर सन् 1976 में आजमगढ़ जनपद के गोपालगंज में एक “मध्यम किसान” वर्ग में होते हुए भी जो “सहित्य” सेवा का “वीणा” उठाया, वास्तव में सराहनीय कार्य है।
आदरणीय “लाल” जी की पुस्तक की पहली ही रचना “सरस्वती वन्दना” से शुभारंभ होती है। उनके रचनाओं में एक अलग ही विविधता देखने को मिलता है, जो उनको उच्चकोटि के “रचनाकारों” में उत्कृष्टता प्रदान करता है। उनकी रचनाएं हृदय तल पर जो प्रभाव छोड़ती है उससे लगता है कि उनके रचनाओं में “सरस्वती” स्वतः ही प्रवास करती हैं । उनके “रचनाओं” में जगह-जगह “अलंकार” का जो समावेश मिलता है पूर्णतः रचनाओं को “अलंकृत” करती है।
आदरणीय “लाल” जी का देश के प्रति जो “प्रेम समर्पण” का भाव है उनके रचनाओं में वैसा ही देखने को मिलता है-
“रक्त का हर कतरा इस वतन के काम आयें”।
“चाहता हूँ उन शहीदो में मेरा नाम आयें”।।
इसके आलावा “भारत महिमा” और “देश-प्रेम प्रलय के बादल” में भी ऐसी ही कई महत्वपूर्ण रचनाएं देखने को मिलते है।
आदरणीय “लाल” जी अपने रचनाओं के माध्यम से समाज में फैली “अच्छाईयो” और “बुराइयों” के गतिविधियों पर भी प्रकाश डालने का प्रयास किया है- जिसमें निम्नलिखित मुख्य रचनाएं है- “मन की ज्योति”, “अंधेरा कितना होगा”, “मेरी शव यात्रा”, “कलम बोलती है”, “आँसू से मुस्कान लिखेगें”, “कलयुग फिर मत आना”, दुनिया की जो पीड़ा है उसे अपने रचनाओं में पिरोने का काम किया है।
“कूड़ादान नहीं है यह तो कृपा दान ही करता है”।
“देकर स्वच्छ सजीला जीवन अपने जहर निगलता है”।
ऐसी मुख्य रचनाएं है- “समय”, “चाहत”, “ओ तराजू नहीं”, “जिन्दगी”, “मौन हुए भौतिक सुख सारे” आदि।
कवि सह हृदयी होता है। आप हमेशा से देश के “संस्कृति” के प्रति जिम्मेदारियों का सहजता से निर्वाहन किया है। त्योहारों को भी आपने रचनाओं से जोड़ने का प्रयास किया है जैसे- “होली का त्यौहार”, “गाँव का मेला”, “होली का रंग”, “सावन की बूँदें”, इत्यादि इसी क्रम में- “मेरी शव यात्रा”, “अपनों की पहचान” जैसी रचनाएं वास्तव में आपके पहचान को दर्शाती है। “विजय दशमी का त्यौहार” जैसी रचनाएं आपके सकारात्मक विचारों को दर्शाता है।
आदरणीय “लाल” जी की ऐसी रचनाएं जिसमें राजनेताओं पर जो व्यंग कसती है-“चुनाव का मौसम”, “कलयुगी नेता”, इस रचना को जितनी बार पढ़ा जायें कम ही है । उनका एक रचना “आँसू से मुस्कान लिखेगें” बेहद सफलतम रचनाओ में से एक है, और यही रचना पुस्तक की शीर्षक का भी स्थान बनाने में सफलता प्राप्त की है।
नये साल के इस अवसर पर हमें यह समीक्षा लिखते हुए अपार “सुख” का “अनुभूति” हो रहा है कि आपका यह “आँसू से मुस्कान लिखेगें” काव्य संग्रह हमेशा ही एक “नई मुकाम” हासिल करें, साथ ही हमारा भी सौभाग्य है कि समीक्षा लिखें जानें तक “आईसीएसई” तथा “सीबीएसई” के पाठ्यक्रमों में आपका “बाल कविताएँ” क्रमशः “बेटी बचाओ”, “सब्जी सम्मेलन”, “सपने में परी”, तथा “रंग बिरंगी तितली” का चयन किया गया है। जिसके लिये आपको तहे दिल से बहुत-बहुत बधाई और आपके “उज्जवल भविष्य” की “कामना” करते हुए “नये साल का आपकों बहुत-बहुत शुभकामनाएं”।

दिनांक 01/01/23

मो.नं-9120639958

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 394 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राकेश चौरसिया
View all
You may also like:
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै
Harminder Kaur
एक तेरे चले जाने से कितनी
एक तेरे चले जाने से कितनी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
बाल शिक्षा कविता पाठ / POET : वीरचन्द्र दास बहलोलपुरी
बाल शिक्षा कविता पाठ / POET : वीरचन्द्र दास बहलोलपुरी
Dr MusafiR BaithA
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तेरे संग मैंने
तेरे संग मैंने
लक्ष्मी सिंह
ज़िंदगी तेरे मिज़ाज का
ज़िंदगी तेरे मिज़ाज का
Dr fauzia Naseem shad
"दिल कहता है"
Dr. Kishan tandon kranti
2804. *पूर्णिका*
2804. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
पूर्वार्थ
महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती
महाप्रभु वल्लभाचार्य जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
एक महिला अपनी उतनी ही बात को आपसे छिपाकर रखती है जितनी की वह
Rj Anand Prajapati
"खुरच डाली है मैंने ख़ुद बहुत मजबूर हो कर के।
*Author प्रणय प्रभात*
काम से राम के ओर।
काम से राम के ओर।
Acharya Rama Nand Mandal
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
Sukoon
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
जिसकी भी आप तलाश मे हैं, वह आपके अन्दर ही है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
अर्ज किया है
अर्ज किया है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
रूपसी
रूपसी
Prakash Chandra
राम आधार हैं
राम आधार हैं
Mamta Rani
रोज हमको सताना गलत बात है
रोज हमको सताना गलत बात है
कृष्णकांत गुर्जर
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
बार बार बोला गया झूठ भी बाद में सच का परिधान पहन कर सच नजर आ
Babli Jha
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
दो शब्द ढूँढ रहा था शायरी के लिए,
Shashi Dhar Kumar
मर्दुम-बेज़ारी
मर्दुम-बेज़ारी
Shyam Sundar Subramanian
तन को कष्ट न दीजिए, दाम्पत्य अनमोल।
तन को कष्ट न दीजिए, दाम्पत्य अनमोल।
जगदीश शर्मा सहज
पद्मावती पिक्चर के बहाने
पद्मावती पिक्चर के बहाने
Manju Singh
कोई पूछे तो
कोई पूछे तो
Surinder blackpen
लेशमात्र भी शर्म का,
लेशमात्र भी शर्म का,
sushil sarna
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
$úDhÁ MãÚ₹Yá
दिवाली त्योहार का महत्व
दिवाली त्योहार का महत्व
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
मन के झरोखों में छिपा के रखा है,
अमित मिश्र
Loading...