हरियाणा प्रदेश की प्रगति का गौरव-गान है ‘निराला हरियाणे का देस’
पुस्तक समीक्षा :
हरियाणा प्रदेश की प्रगति का गौरव-गान है ‘निराला हरियाणे का देस’
– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट
‘निराला हरियाणे का देस’ हरियाणा के विख्यात कवि एवं स्वनामधन्य ग़ज़लकार महेन्द्र जैन का हरियाणा स्वर्ण जयन्ती वर्ष के दौरान प्रकाशित एक ऐसा गीत संकलन है, जिसमें हरियाणा की प्रगति को कवि ने अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति से स्वर दिया है।
चन्दनबाला जैन साहित्य मंच हिसार द्वारा प्रकाशित 80 पृष्ठ की इस काव्य कृति में मोटे-चिकने-रंगीन पृष्ठों पर कवि की भावनाएं सचित्र अंकित हुई हैं। काव्य नाटककार बाबू न्यामतसिंह जैन को समर्पित इस हरियाणा प्रगति गीत संकलन में हरियाणा के महामहिम राज्यपाल प्रो. कप्तानसिंह सोलंकी, श्री मनोहर लाल खट्टर माननीय मुख्यमंत्री हरियाणा, मनीष ग्रोवर राज्य मंत्री हरियाणा और डाॅ. कमल गुप्ता पूर्व मुख्य संसदीय सचिव एवं विधायक हिसार के शुभकामना संदेश और डाॅ. गीतू सहायक प्रोफेसर हिन्दी विभाग मनोहर लाल मैमोरियल स्नात्कोत्तर महाविद्यालय फतेहाबाद की भूमिका पुस्तक के आरम्भ में दी गई है। सभी ने अपने-अपने अंदाज़ में इसे अति हर्ष एवं गर्व का विषय बताया है कि महेन्द्र जैन का यह गीत संकलन हरियाणा स्वर्ण जयन्ती वर्ष के अंतर्गत प्रकाशित हो रहा है। सभी ने हरियाणा के इस राष्ट्रभक्त कवि की भावनाओं का स्वागत करते हुए अपनी ओर से शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।
समीक्ष्य कृति के संदर्भ में मुझे यह कहते हुए जरा भी संकोच नहीं हो रहा है कि इसके संदर्भ में अपनी शुभकामनाएं देते वक़्त महामहिम राज्यपाल हरियाणा व अन्य ने महेन्द्र जैन के प्रति जो विश्वास व्यक्त किया है, उस पर जैन साहब खरे उतरते हैं। सन् 1966 से सन् 2016 तक ही नहीं, बल्कि इसकी अर्थात इस अवधि की पृष्ठभूमि में रहे हरियाणा प्रदेश के परिवेश को भी जैन साहब ने अपनी अभिव्यक्ति का विषय बनाया है और हरियाणा का गौरवगान गाया है। अपने गीत -‘हमारा प्यारा यह हरियाणा’ में गीतकार कहता है –
धरती का है स्वर्ग हमारा प्यारा ये हरियाणा।
सबसे आगे रहा सदा ये, है इतिहास पुराना।।
अपने इस गीत में गीतकार ने हरियाणा को संतों-ऋषियों की धरती बताया है। यहाँ पर पावन गीता की रचना होने का उल्लेख किया है, ब्रज में गूंजे सूर के मधुर पदों की रचना का ज़िक्र किया है और साथ ही यहाँ के वीरों की वीरता और साहित्यकार एवं कलाकारों के कला-कौशल का भी ज़िक्र किया है। इतना सब करने के बाद गीतकार ने वर्तमान हरियाणा की प्रगति में ‘हरित क्रांति’ के योगदान को अपनी इन पंक्तियों के माध्यम से व्यक्त किया है-
‘हरित क्रांति’ में हरियाले अब खेत यहाँ लहराते,
अपनी मेहनत से किसान मिट्टी से स्वर्ण उगाते।
सादा जीवन, सादा बाना, सादा इनका खाणा,
धरती का है स्वर्ग हमारा प्यारा ये हरियाणा।
स्वर्ण जयन्ती का जश्न मनाते हुए बतौर हरियाणवी अर्थात हरियाणा प्रदेश के निवासी के तौर पर महेन्द्र जैन जी कहते हैं –
स्वर्ण जयन्ती वर्ष सुहाना हरियाणे का आया।
अपनी मेहनत से लोगों ने पलटी इसकी काया।।
मतलब की हरियाणा की प्रगति में इसके लोगों का बहुत हाथ रहा है। सरकार ने बिजली, पानी व सड़कों की सुविधा इस प्रदेश के निवासियों को दी, तो उन्होंने भी इन सुविधाओं का उपयोग किया और सबकी मेहनत से इस प्रदेश की काया पलटी है।
अपने गीत- ‘स्वर्ण जयन्ती वर्ष सुहाना’ में गीतकार यहाँ के मेहनतकश लोगों की मेहनत के साथ-साथ यहाँ के शुद्ध-सात्विक खान-पान पर भी गर्व करता है और प्रगति पथ पर अग्रसर हरियाणा में लिंगानुपात सुधरने की बात भी करता है। गीत की पंक्तियां देखिए –
फर्क नहीं करता बेटा-बेटी में ये हरियाणा,
सुधर गया अनुपात सभी से आगे ये हरियाणा।
रुके भ्रूणहत्या बेटी की यह अभियान चलाया,
अपनी मेहनत से लोगों ने पलटी इसकी काया।
हरियाणा की वर्तमान स्थिति को गीतकार ने स्वर्णकाल की संज्ञा देते हुए अपने एक गीत में कहा है –
युग ने ली अंगड़ाई आया स्वर्णकाल हरियाणे का।
रखना है सबसे ऊँचा मस्तक विशाल हरियाणे का।।
मतलब कि अब हम चाहे किसी भी क्षेत्र की बात करें, हमारा हरियाणा प्रगति पथ पर अग्रसर है। इस प्रदेश की उपलब्धियों के कारण अपने भारत देश का मस्तक दुनिया में ऊँचा है। इसी तरफ संकेत करते हुए गीतकार हरियाणा वासियों से आह्वान करता है कि हरियाणा के प्रति देश के इसी विश्वास को बनाए रखने के लिए हमें अपने विशाल हरियाणा का मस्तक अब सबसे ऊँचा रखना है।
कहने की आवश्यकता नहीं कि गीति काव्य की शास्त्रीय कसौटी पर खरे उतरने वाले इन गीतों में गीतकार ने हरियाणा के इतिहास, राजनीति, धर्म, दर्शन, कला एवं संस्कृति आदि सभी के समन्वित रूप को समाहीत करके हरियाणा स्वर्ण जयन्ती वर्ष में एक अनूठा उपहार हरियाणा सरकार व अपने प्रदेशवासियों को दिया है। कोई भी गीत ऐसा नहीं है, जो गेयता, संगीतात्मकता और अपने साहित्यिक गुण-धर्म पर खरा न उतरता हो। गीतों के साथ-साथ कवि की भावाभिव्यक्ति को बल देने व तथ्यों को प्रामाणिक एवं विश्वसनीय बनाने वाले रंगीन चित्र भी यथास्थान यथोचित रूप में दिए गए हैं।
संक्षेप में कहें तो हम कह सकते हैं कि सृजन एवं संयोजन से लेकर प्रकाशन तक कवि, गीतकार, गायक एवं संगीतकार महेन्द्र जैन का ज्ञान, अनुभव और साथ ही अपने हरियाणा प्रदेश से उनका लगाव इस पुस्तक में अपने मुंह से बोलता है। पाठक अथवा श्रोता के लिए किसी भी गीत की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक गीत का एक-एक शब्द हरियाणा प्रदेश की प्रगति को गाता हुआ सा महसूस होता है। दिल की गहराइयों में उतर कर पाठक के दिलो-दिमाग़ पर छाने की क्षमता रखने वाले इन गीतों की रचना के लिए महेन्द्र जैन साधुवाद के पात्र हैं। हरियाणा स्वर्ण जयन्ती वर्ष पर उनका यह साहित्यिक अवदान अपनी साहित्यिक क्षमता के कारण हरियाणा प्रदेश के साहित्येतिहास में तो दर्ज़ होना ही चाहिए, साथ ही राष्ट्रभक्ति व नैतिक शिक्षा से परिपूर्ण संदेश के कारण इस संकलन के गीतों को शैक्षिक पाठ्यक्रम में भी स्थान दिया जाना चाहिए, ताकि प्रदेश के छात्र-छात्राएं न केवल अपने स्तर पर इन गीतों को गा-गुनगुना सकें, बल्कि इन्हें शिक्षकों द्वारा पढ़ाए व समझाए जाने के बाद उनके अर्थात छात्र-छात्राओं द्वारा गाए-गुनगुनाए अपने प्रदेश के इन प्रगति गीतों का मूल्यांकन भी समय-समय पर होता रहे।
– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट
अध्यक्ष आनन्द कला मंच एवं शोध संस्थान,
सर्वेश सदन, आनन्द मार्ग, कोंट रोड़,
भिवानी-127021(हरियाणा)
मो.नं. – 9416690206
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पुस्तक: निराला हरियाणे का देस, रचनाकार: महेन्द्र जैन,
प्रकाशक: चन्दनबाला जैन साहित्य मंच, हिसार(हरियाणा) पृष्ठ: 80 मूल्य: रुपये 250/-
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