*पुष्प जैसे खिल रहा (गीतिका)*
पुष्प जैसे खिल रहा (गीतिका)
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1
जिंदगी में साथ जब तक भी तुम्हारा मिल रहा
लग रहा अच्छा तभी तक पुष्प जैसे खिल रहा
2
कब मजा एसी में मिलता जो मजा है पार्क में
जब हवा मद्धिम चली तो पेड़ देखो हिल रहा
3
जिंदगी का सूक्ष्म-दर्शन बस समझ आया यही
कुछ उधड़ प्रतिदिन रहा तो रोज ही कुछ सिल रहा
4
बंद कमरों में कहॉं सच्चाई का चलता पता
जिंदगी का बोध उसको पॉंव जिसका छिल रहा
5
सिर्फ सैद्धांतिक विवेचन जो सदा करते रहे
हर सफर उनके लिए ही सर्वदा बोझिल रहा
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451