पुष्प अभिलाषी है …
पुष्प अभिलाषी है …
प्रश्न
कभी मृत नहीं होते
उत्तर
सदा अमृत नहीं होते
कामनाएं
दास बना देती हैं
उत्कण्ठाएं
प्यास बढ़ा देती हैं
शशांक
विभावरी का दास है
शलभ
अमर लौ अनुराग है
दृष्टि
दृश्य की प्यासी है
तृषा
मादक मकरंद की दासी है
भाव
निष्पंद श्वास है
अंत
अनंत का विशवास है
स्मृति
कालजयी कल है
अमर
प्रीत का हर पल है
पुष्प
प्रीत का प्रतीक है
गंध
प्रतीक की जीत है
भ्र्मर
पुष्प अनुराग है
यौवन
चटख़ पुष्प प्राग है
पुहुप
प्रतीक मकरांक है
श्वास
स्वप्न शशांक है
अनंत है
अनादि है
सृष्टि
सदैव
पुष्प अभिलाषी है
सुशील सरना