*पुरानी चिट्ठियाँ (हिंदी गजल/ गीतिका)*
पुरानी चिट्ठियाँ (हिंदी गजल/ गीतिका)
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खुशबुऍं भर-भर के महकाती पुरानी चिट्ठियाँ
इतिहास की अनमोल हैं थाती पुरानी चिट्ठियाँ
2
दौर जो गुजरा हुआ था, छूट जो पीछे गया
याद ताजा उसका करवाती पुरानी चिट्ठियाँ
3
शब्द कुछ आए समझ में, शब्द कुछ आए नहीं
हस्तलेखन की कला गाती पुरानी चिट्ठियाँ
4
जिनको परख है, हस्तलेखों की बुनावट जानते
उनको बहुत कुछ और बतलाती पुरानी चिट्ठियाँ
5
धूप जाड़ों की दिखाने छत के ऊपर जब गया
घंटों रहीं जैसे कि बतियाती पुरानी चिट्ठियाँ
6
कीमतों को कौन इनकी आँक पाया आज तक
संग्रहालय में जगह पाती पुरानी चिट्ठियाँ
7
जैसे पुराने चावलों की कीमतें बढ़ती रहीं
हर रोज होती कीमती जाती पुरानी चिट्ठियाँ
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 9997615451