पुत्र की करूणा
इन्ही गलियो से उठेगा एक दिन जनाजा मेरा ।
रोएंगे अपने सगे, पसरा है सन्नाटे का घेरा ।
किसको कितना मुझसे प्यार है ।
काश मै देख सकता ।
क्या बचपन की मोहब्बत को ।
याद करके रोएगी मेरी महबूबा ।
सारा घर है शोक मे डूबा ।
काश मै वहां आ जाता ।
लोगो को दिखला जाता ।
जिंदा हूं मै मां अभी भी ।
दुनिया के तरानो मे ।
रोती है क्यूं बहन तू ।
देख मुझको अब वीराने मे ।
कौन जानता था कब दुर्घटना ये हो जाएगी ।
मै तो सोचा था मां मै तेरे साथ को निभाऊंगा।
दीवाली है आज घरो मे मां मै भी मिठाई खाऊँगा ।
पर मां भूल क्यो गई है मुझको ।
इस तन्हाई मे ।
दे न सका न कोई सुख अपने बाप -भाई को।
बिलख बिलखकर रो रहा मै आज करूणाई ।
मेरा दोस्त है आज कहां मिलता हूं आज उससे ।
मौन होकर क्यो बैठा है उदास होके जैसे ।
खेलता था उसके साथ गुल्ली डण्डा और खिलाता पैसे ।
याद सब छूटी है इस गांव के गलियारे मे ।
देखता हूं सब फंसे है मोह -माया मे ।
मां तू रोना नही दोबारा आऊंगा मै तेरे गोद मे ।
मां, मां, मां ???????