पीड़ित किसान
ख़ून में रंगाइल
हाथ तहार
तू का करबअ
इंसाफ़ हमार…
आवे वाला पीढ़ी तहसे
गिन-गिनके हिसाब ली
अपराध ना होई
माफ़ तहार…
चाहे केतनो तीरथ करअ
या गंगा में डुबकी मारअ
दामन ना होई
साफ़ तहार…
झूठ-मूठ के लेप लगवला से
कबो घाव हृदय के ना भरी
याद रही हमके
घात तहार…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra