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16 Apr 2022 · 1 min read

पिता

पिता से अस्तित्व हमारा
जो हमको सलोना संसार देता है ।
कर पालन – पोषण हमारा
हमको नूतन आकार भी देता है ।।

जिम्मेदारियों के बोझ लदा
पिता अपने परिवार का विश्वास है ।
कदम डगमगाये अपनों के
थाम ले तब पिता वही आस है ।।

जीवन फुलवारी का पुष्प मैं
अधरों की मेरे पिता मुस्कान है ।
आज जो भी है विस्तार मेरा
वह सब बस पिता का वरदान है ।।

जीवन समर में हार न माने
पिता वह महायोद्धा कहलाता है ।
संभावित आशंकाओं को भांप
मुझे सदा जो बचाए वह खुदा है ।।

डॉ मधु त्रिवेदी
आगरा (उत्तर प्रदेश )

8 Likes · 9 Comments · 599 Views
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