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21 Nov 2021 · 1 min read

—–पिता—-

पिता धरोहर है एक आधारशिला नींव है पिता

जीवन रूपी तपती धूप में शीतल छाया है पिता

कर्तव्यों को निभाता एक स्वरुप है पिता

कभी प्रसन्नचित्त तो कभी चिंतित दीखते है पिता

बहती नदी में पतवार के समान है पिता

परिवार की शक्ति ऊर्जा है पिता

बाहर से कठोर दिखते भीतर से अत्यंत कोमल होते है पिता ।

जीवन पर्यन्त कर्तव्य पथ पर दौड़ता है हर पिता ।

संतान की अभिलाषा पूर्ति हेतु बहुत दूर तक चलता है पिता ।

स्वयं के लिए कभी कुछ न रखता है पिता ।

परिवार खातिर हर परीक्षा से गुजर जाता पिता ।

सच कहा जाय तो इक वृक्ष होता है पिता जिसकी छाया में परिवार है पलता ।

बिना किसी प्रतिफल की आशा से आजीवन कर्म करता है पिता ।

पिता का महत्व तब तक न समझे कोई जब तक पास होते है पिता ।

कविता चौहान
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 413 Views
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