पिता
पिता
पिता नहीं परमेश्वर कहो जीवन का आधार है जो
शाखा फूल पत्तिया हम, जीवन का करतार है वो
दुःख में सुख की छाया बन कष्टो का करे निवारण जो
खुद तपस में झुलसता,बन सुख का असली कारक वो
बचपन में घोडा बन जाता, बिठा पीठ हमे सैर कराता जो
उठ-उठ के जब गिरते हम, हाथ पकड़ चलना सिखाता वो
बेटी का बाबुल है और पुत्र के लिए ब्रह्मास्त्र है जो
सुहागिन का श्रृंगार बने,मैया कहे मेरा भरतार है वो
तपते सूरज की गर्मी में संग संग चलता जाता जो
छुपा अपने बदन की ओट में उस से सदा बचता वो
वर्षा से टपकती छत,रात भर जाग मेरे लिए मुस्काता जो
टूटी झोपडी, भाड़े की खोली में चैन की नींद सुलाता वो
जाड़े की कड़क सर्दी में अपनी फटी चादर में छुपता जो
मौसम के संग रुत सजाता, हर हाल में हमे बचता वो
प्रेम का सागर, जीवन रक्षक, हमारे लिए भगवान है जो
जीवन अर्पण कर दे सारा, फिर भी न सुख बोध पाता वो
जीवन प्रयन्त हमारे लिए नित-२ असीम कष्ट उठाता जो
वृद्धावस्था में फिर क्यों ,हमारी एक झलक को तरसता वो
हम उसके चरणो की धूलि, जन्म का सूत्रधार है जो
हम उसके ऋणी सदैंव हर घर का सुख संसार है वो
जन्म जन्म बलिहारी जाऊं, में कैसे कर्ज से मुक्ति पाऊं
शीश नवाता हूँ एक बार, उसमे असंख्य आशीष पा जाऊं
कब समझोगे कीमत उनकी, जीवन में अनमोल है जो
बेसहारा, अनाथ है इंसान जिसके शीर्ष उनका हाथ न हो
पिता नहीं परमेश्वर कहो जीवन का आधार है जो
शाखा फूल पत्तिया हम, जीवन का करतार है वो ….!!!!