पिता
पिता के कंधे पे चढ कर आसमां नापा ।
पढाकर मेरे सिर पर बांधा शिक्षा का साफा ।
अपने वो दुःखो मे रहे, ताउम्र मेहनत करते रहे ।
पर दुःखो को जिंदगी मे मैने नही भापा ।
कहते थे पिताश्री नाम तू रोशन करना मेरा ।
गर्व से मै कह सकूं बेटा है तू मेरा ।
हमने तो ठान कर बस यही है भरा टेरा ।
अब तो बस होंगे कामयाब ।
बदले का संकट का फेरा ।
हूं काबिज मै आज एक अच्छे अहदे पर ।
पिता का नाम है आज हर जुबां के गद्दे पर ।
हमने तो कर्तव्य निभाया होने का अपने पुत्र का ।
जीवन अच्छा चले जब पालन हो सूत्र का ।
पिता है मेरे भाग्य विधाता जैसे ।
उन्ही से हम और हम जहान का नाता जैसे ।
आप भी अपने पिताश्री के सपने को पूरा करना ।
सुनकर बीवी की कभी उनके साथ न बुरा करना ।
दे सके गर हम पुत्र का सुख उनको ।
तो अपने जीवन को है तुम धन्य समझना ।
पिता से ही सलामत है मां गहना ।
पिता से ही हम और आप का कहना ।
पिता का नाम रोशन करने की सब ठानेंगे ।
संघर्ष के मैदान मे ।
हम हार के न हार मानेंगे ।
अपना और पिता का यश पूरे जहान मे फैलाएंगे।
श्रवण कुमार के जैसे पुरा तो नही ।
लेकिन कुछ तो बन पाएंगे ।
माता-पिता ही भगवान् की मूरत है ।
उन्ही के चरणो मे मुक्ति का मुहुरत है ।
कही न बाहर जाने की अब जरूरत है ।
उन्ही से प्यार और शांति मुकम्मल प्यारो ।
Rj Anand Prajapati