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11 Dec 2017 · 1 min read

पिता!!!!!!

पिता!!!!!!

जमीं वितान मौन है ,पिता समान कौन है।
शिवा सरूप बाप है,सकाल काल गौन है।।
दिया अतीव प्यार तो,लिया जरा दिया नहीं।
सदैव थाम हाथ को,बिठा दिया कहा वहीं।।
सुनो सखा समान हो,जरा नहीं दगा करी।
पिता तुम्हीं पराग हो,मधू मिठास है भरी।।
लगे ममा छवी भली,पिता समान है हरी।
कभी नहीं डरी यहां, सदा डटी दया भरी।।
तुम्हीं जला रहे शमां, सुदीप ज्ञान के जले।
नहीं कभी एका पड़ी ,करा गहे पिता चले।।

विमला महरिया “मौज”

Language: Hindi
3 Likes · 442 Views
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