पिता (सूर घनाक्षरी)
#पिता (सूर घनाक्षरी)
सब रिश्तों से गहरा
पिता प्रेम का पहरा
जीवन की हर बाधा
स्वयं ही स्वीकार ।
संतान सुखी जीवन
पिता प्रफुल्लित मन
भूलता तन की पीड़ा
सुनता किल्कार।
पिता जी नाम सुनता
प्रेम स्नेह उमड़ता
निभाता सब कर्तव्य
मेरा परिवार ।
यही उसकी कहानी
पिता की बीती जवानी
बुढ़ापा उम्र लाचारी
पिता बना भार।।
राजेश कुमार कौरव “सुमित्र”
श्री विहार कालोनी/ श्री पैलेस
गाड़रवारा, नरसिंहपुर (म प्र)
487 551