पिता के चरण में
नित्य सजाकर फूल कई
पिता के चरण मे चढ़ाते हैं।
उन पैरो की धूलि लगाते
जिन्होंने चलना सिखाया हैं।
नियत नेक सदा जिनके थे
उनके ही शरण मे जाते है।
गीली मिट्टी जैसे कमजोर कभी थे
पिता ने सुंदर खिलौना बनाया।
शरारत की थी जग में हमने
पर साया सदा रहा पिता का।
अपनी उम्र का ख्याल किये बिन
बच्चों की उम्र बढ़ाते हैं।
अरे कौन बुरा कर सकता इनका
जिन्होंने है जीना सिखलाया।
आदर्श भरी एक बेला है आई
पिता रूप भगवान सदा।
संघर्ष की जो है परिभाषा
पिता ने ही हमे बतलाया है।
ऐसे ईश्वर रूपी पिता के चरणो मे
सारा विश्व समाया हैं।।