पिता कुछ भी कर जाता है।
स्वयं हारकर पुत्र को जिताता है।
पुत्र की विजयी मुस्कान से खुश हो जाता है।।1।।
पिता है पिता कुछ भी कर जाता है।
कठिन परिश्रम करके वह घर को चलाता है।।2।।
सारा दुख समेट कर काम पे जाता है।
परिवार सोता है वह रात भर ना सो पाता है।।3।।
पिता सबकी जरुरते पूरी करता है।
अपनी ख्वाहिशों को दबाके ये मुस्कुराता है।।4।।
कोई तमन्ना अधूरी ना रहे परिवार की।
दिन रात एक करके वह पैसों को कमाता है।।5।।
पुत्र सहारा देगा ये सोचकर खुश होता है।
अंत में इक छड़ी के सहारे खुदको चलाता है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ