भारत का फौजी जवान
पिता का दुलारा होता,
मां का प्यारा होता।
उसकी एक लुगाई है,
वह भी किसी का भाई है।
घर में बुआ भौजी हैं,
जो देश का फौजी है।
सबसे दूर पड़ा है,
सरहद पर खड़ा है।
पति से प्यार भी है,
थोड़ा श्रृंगार भी है।
जबकि वह सुहागन है,
दिखती वैरागन है।
जब हम अपनों संग,
पर्व मनाते मनाते हैं।
देश के फौजी लोग
सरहद पर रह जाते हैं।
बच्चे मां से कहते हैं,
पापा कहां रहते हैं।
क्या क्या समझाती है,
बच्चों को बहलाती है।
खाना भरपूर पर,
सपने चूर चूर हर।
कुछ नहीं कह पाता वो,
विरह सह जाता वो।
फौजी फौज से आता जब,
यौवन ढल जाता तब।
भारत का फौजी जवान,
पग पग पर देता बलिदान।
सतीश सृजन