Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2022 · 3 min read

पिता का दर्द

एक बेटी के लिए पिता सब कुछ होता है और एक पिता के लिए बेटी उसका दिल। जिसे पाने पर सबसे बड़ी खुशी मिलती है और जिससे बिछड़ने पर सबसे बड़ा दर्द। मेरी कविता “पिता का दर्द” लिख भले मै रही हूँ पर वह एहसास ,वह दर्द ,वह भाव मेरे पापा के है। जिन्होंने मुझे बेइंतिहा प्यार दिया है। –

जन्म हुआ था जब मेरा
सबसे ज्यादा पापा थे खुश ।
ऐसा बताते है हमें
घर के एक-एक सदस्य ।

सब रिश्तेदारों को पापा
खुश होकर बता रहे थे।
मेरे घर लक्ष्मी आई है
सबसे यह खुशी जता रहे थे।
सबको मिठाई लेकर अपने से
सबका आप मुँह मिठा करा रहे थे।

कभी किसी चीज की कमी
न बचपन में होने दिया था।
और आज भी तो पापा आप मेरे
हर जरूरत का ख्याल रखते है।
किसी भी चीज की मुझे कमी न हो,
आज भी तो मेरे पापा जरूरत से
ज्यादा चिंता करते है।

नाजों से पाला था मुझको
मेरे सारे सपनो को पुरा किया था।
भाइयों से भी ज्यादा कही
आपने मुझसे प्यार किया था।

पर मै जानती हूँ पापा
मुझे बड़े होते देखकर
आप खुशी तो जता रहे थे।
पर मन ही मन मुझसे दूर
होने के ख्याल से डर रहे थे।

कल जब शादी होकर यह
हमसे दूर चली जाएगी।
यह सोचकर आप कितना घबरा रहे थे।
अपने मन के डर को
हम सबसे आप छुपा रहे थे।

आखिर वह समय भी आया
जब मेरे लिए शादी का रिश्ता आया।
सब कुछ देख-सुन कर
आपने रिशते के लिए
हामी भर दी थी।
पर मुझसे दूर हो जाने का
डर आपको सता रहा था।

फिर भी पापा आपने शादी का
सारा रस्म खुशी- खुशी निभाया था।
कन्यादान खुद से नही कर
बुआ से करवाया था।
सारे बारतियों के सम्मान में
आपने कोई कसर न छोड़ा था।

कोई बिटियाँ को ससुराल में
कुछ न कहें
इसलिए आपने अपना सर्वस्य
हम पर लुटाया था।

फिर आई मेरी विदाई की घड़ी
सब रो रहे थे चारों तरफ।
मुझसे मिलवाने के लिए
लोग आपको ढूँढ रहे थे,
और आप थे पापा जो
घर के एक कोने में छिपकर
रो रहे थे।

मम्मी मुझे मिलवाने के लिए
आपके पास ला रही थी
और आप थे जो एक हाथ से
ना का इशारा करते हुए
पाँव मेरे तरफ बढ़ा रहे थे।

सच था न पापा आप अपना दर्द
हम सब से छुपा रहे थे।
सच तो यही था पापा
आप अपनी इस प्यारी बेटी को
विदा करने की हिम्मत नहीं
जुटा पा रहे थे।

जिसे नाजों से पाला था।
जिसकी हँसी में हँसा था।
जिसके सामने कभी दर्द
को न आने दिया था।
सच तो यह था पापा
आज उससे बिछड़ने के
दर्द को आप सह नही पा रहे थे।
और न ही मुझे आप दर्द में
देख पा रहे थे।

वह आज आपके घर से चली जाएगी।
यह सोचकर आप घबरा रहे थे।
आप अपना दर्द किसी के
सामने लाना नही चाह रहे थे।
इसलिए आप हम सबसे
छुपकर रोए जा रहे थे।

पापा मुझे आज भी याद है
आपके चेहरे का वह दर्द
जिसे आप मुझसे छुपा रहे थे,
आज भी तो पापा हर सुबह
जब आपका फोन आता है।

आपके दर्द का एहसास
आपके बातों मे आ जाता है।
जब आप कहते हो सब कुछ
ठीक है न।
और जब तक मेरे आवाज में
खुशी न झलक जाए ।
कहा आपके दिल को सकून मिलता है।

~अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 1891 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
है कौन वहां शिखर पर
है कौन वहां शिखर पर
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
**सिकुड्ता व्यक्तित्त्व**
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अष्टम् तिथि को प्रगटे, अष्टम् हरि अवतार।
अष्टम् तिथि को प्रगटे, अष्टम् हरि अवतार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
****वो जीवन मिले****
****वो जीवन मिले****
Kavita Chouhan
छोड़ दो
छोड़ दो
Pratibha Pandey
अपनों के बीच रहकर
अपनों के बीच रहकर
पूर्वार्थ
मौसम  सुंदर   पावन  है, इस सावन का अब क्या कहना।
मौसम सुंदर पावन है, इस सावन का अब क्या कहना।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कुछ नही मिलता आसानी से,
कुछ नही मिलता आसानी से,
manjula chauhan
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
बुंदेली दोहा- गरे गौ (भाग-1)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
💐प्रेम कौतुक-343💐
💐प्रेम कौतुक-343💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
2232.
2232.
Dr.Khedu Bharti
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
मैंने  देखा  ख्वाब में  दूर  से  एक  चांद  निकलता  हुआ
मैंने देखा ख्वाब में दूर से एक चांद निकलता हुआ
shabina. Naaz
मेरा गुरूर है पिता
मेरा गुरूर है पिता
VINOD CHAUHAN
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
Er. Sanjay Shrivastava
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
Jp yathesht
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
"BETTER COMPANY"
DrLakshman Jha Parimal
मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा
मेरी देह बीमार मानस का गेह है / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
* भावना में *
* भावना में *
surenderpal vaidya
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
"रात यूं नहीं बड़ी है"
ज़ैद बलियावी
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
Rekha khichi
झिलमिल झिलमिल रोशनी का पर्व है
झिलमिल झिलमिल रोशनी का पर्व है
Neeraj Agarwal
पहले आदमी 10 लाख में
पहले आदमी 10 लाख में
*Author प्रणय प्रभात*
मैं उसी पल मर जाऊंगा ,
मैं उसी पल मर जाऊंगा ,
श्याम सिंह बिष्ट
दो दोस्तों में दुश्मनी - Neel Padam
दो दोस्तों में दुश्मनी - Neel Padam
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आज फ़िर दिल ने इक तमन्ना की..
आज फ़िर दिल ने इक तमन्ना की..
Rashmi Sanjay
"ख्वाब"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...