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30 Mar 2022 · 1 min read

पाषाण हूँ

सदन शोभा बढ़ाऊँ
या राह में पड़ा रहूँ
मैं पाषाण हूँ ।
किसी मोल न आंका जाऊँ
मंदिर में रखा जाऊँ
देवता मैं कहलाऊँ
लोग मस्तक नवाए
फूल मुझे चढाए
मैं पाषाण हूँ ।

बस जगह का अन्तर
राह पड़ा ठोकर मार दी
मंदिर में शीश नवाया
भगवान मान कर पूजा
आस्था विश्वास जन का
कलाकार ने आकृति में ढाला
तूलिका से रंग डाला
पर मैं पाषाण हूँ ।

Language: Hindi
44 Likes · 416 Views
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