पावनता
पावनता
नहर का नीला पानी
लगा मुझे चिरयात्री
आया पहाड़ों से
चलता रहा है निर्बाध
थकान भी नहीं है
ऊबा भी नहीं सफर से
जाना भी है बहुत दूर
चला जा रहा है चुपचाप
गतिशीलता ने
रखी है महफूज
इसकी पावनता
अगर ये
कहीं ठहर जाता
किसी तालाब में
तो खो देता
अपनी पावनता
-विनोद सिल्ला©