पारा !!
आसमानी पारा तो बढा हुआ था,
राजनीतिक पारा भी चढा हुआ है,
घर घर में हो रही है ऐसी बहस,
लोगों का भी पारा बिफरा हुआ है,
कौन जीता कौन हारा,
इस पर भी तकरार चल रही
किसकी सीटें घटी हुई हैं,
किसकी सीटें बढ गई ,!
तर्क वितर्क चला हुआ है,
कौन “सरकार” बना रहा है,
किसकी चलेगी यहां पर तिकड़ी
और कौन सरकार चला रहा है,
कौन कौन होंगे गठबंधन के साथी,
इस पर भी सट्टा लगा हुआ है!
ये नहीं जाना ये नहीं सोचा,
अपन तो जहां का तहां अटका हुआ है,
यहां सूरत किसकी बदल पाई है यारों,
अपन तो नून तेल में भटका हुआ है,
कौन बनेगा मंत्री, पी एम,
मतदाता तो नागरिक भी नहीं रह गया है,
किसको है हमारे हितों की चिंता,
उन्हें तो अपना सुख दिख रहा है,
अपनी अपनी सैटिंग में जुटे हैं माननीय,
जन मत तो लुटा पिटा है यारों,
आपस में उलझना छोड दो भाई,
अपना तो पारा गर्दिश में सिकुड़ा हुआ है!!