*पायल बिछुआ टीका नथनी, कुंडल चूड़ी हार (हिंदी गजल/ गीतिका )*
पायल बिछुआ टीका नथनी, कुंडल चूड़ी हार (हिंदी गजल/ गीतिका )
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(1)
पायल बिछुआ टीका नथनी, कुंडल चूड़ी हार
लहॅंगा चोली साड़ी गोटा, सिंदूरी श्रंगार
(2)
धवल चंद्रमा की मुस्कानें, नभ में कई हजार
धरा देखती जल की पावन, चली अर्ध्य की धार
(3)
पाणिग्रहण सात जन्मों का, करवा-पूजाथाल
धन्य-धन्य यह संबंधों का, अमृत-सा त्यौहार
(4)
मन की प्रीति परम विश्वासी, यह पावन अनुबंध
रचे स्वर्ग में गए विधाता, धन्यवाद सौ बार
(5)
श्वेत चॉंदनी-रात चंद्रमा, सुंदरतम परिपाटी
देख रहा भारत को होकर, भौंचक्का संसार
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451