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2 Aug 2024 · 1 min read

पाप मती कर प्राणिया, धार धरम री डोर।

पाप मती कर प्राणिया, धार धरम री डोर।
जमड़ा घेरो घालसी, जाबक चलै न जोर।।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️

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