“पापा आप बहुत याद आते हो”
रोज़ दिन आता है बीत जाता है, पर तुम नहीं आते…..
याद आती है, आखो मे पुरानी तस्वीरे तिरती रहती है, पर तुम नहीं आते…
भागती जिंदगी के साथ आंगे बढते गए, नजर अक्सर दरवाजे पर रही, पर तुम नहीं आते…
लगता है हर वक़्त साथ हो मेरे, पर तुम नज़र नहीं आते…
जब बात करता हू तुमसे, जवाब तो दे जाते हो, पर तुम नज़र नहीं आते…
मुसीबत आती है जब मुझ पर, रास्ता भी तुम दिखा जाते हो, पर तुम नज़र नहीं आते…
जब भी कुछ करता हूं, तो तुम्हारी बहुत याद आती है,
मेरी कामयाबी के लिए कितना कुछ किया, सोचता हू, तो तुम्हारी बहुत याद आती है,
पापा आप बहुत याद आते हो…
पापा आप बहुत याद आते हो…
उमेन्द्र कुमार