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14 May 2021 · 1 min read

पापाचार बढ़ल बसुधा पर (भोजपुरी)

पापाचार बढ़ल वसुधा पर (भोजपुरी)
छन्द-रोधेश्यामी/मत्त सवैया आधारित गीत
*************************************************
पापाचार बढ़ल वसुधा पर, भगवन अब अवतार धरीं जी।
वामन, राम, कृष्ण के जइसन, धर्म युक्त बेवहार करीं जी।।

समदर्शी प्रभु अन्तर्यामी, पंचभूत रउये परमेश्वर।
दुष्ट दलन करीं पाप मिटाईं, रूप सगुण धरीं हे! सर्वेश्वर।
वसुधा पर बा पाप बढल जे, धरणी के कुछ भार हरीं जी।
वामन, राम, कृष्ण के जइसन, धर्म युक्त बेवहार करीं जी।

जीवन में जीवात्मा बनके, जन- जीवन में सांस भरेनी।
वेद–पुरान कहेला रउरे, कण–कण में प्रभु बास करेनी।
कण-कण पातक जन से आहत, आईं कुछ उपचार करीं जी।
वामन, राम, कृष्ण के जइसन, धर्म युक्त बेवहार करीं जी।।

द्रुपद सुता के लाज बचवनी, अब मानवता आज बचाईं।
त्राहि–त्राहि बा मचल धरा पर, चक्र उठाईं दउरल आईं।
जइसे नाथ अहिल्या तरनी, जग के बेड़ा पार करीं जी।‌
वामन, राम, कृष्ण के जइसन, धर्म युक्त बेवहार करीं जी।।

मरल आजु सद् भाव जगत से, आपन अपना से भागत बा।
पुन्य पराइल बा अब जग से, पातक रात–दिवस जागत बा।
जड़-चेतन के हर कण–कण के, आईं अब उद्धार करीं जी।
वामन, राम, कृष्ण के जइसन, धर्म युक्त बेवहार करीं जी।।

अखियां में मानवता के अब, देखीं फइलल आजु निराशा।
रउये पर हम आस लगवनी, दुसरे से ना तनिको आशा।
ना आइब त कुछ ना बाची, मुनि जन पर उपकार करीं जी।
वामन, राम, कृष्ण के जइसन, धर्म युक्त बेवहार करीं जी।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 366 Views
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